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मौसम आधारित खेती की जानकारी, समय, सलाह

एचएयू कृषि सेवा हरियाणा के किसानों के लिए एक आधुनिक डिजिटल मंच है, जिसे चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विकसित किया गया है। यह सेवा खरीफ और रबी फसलों की वैज्ञानिक खेती, मौसम पूर्वानुमान, रोग-कीट नियंत्रण और फसल प्रबंधन से जुड़ी सटीक जानकारी प्रदान कर खेती को अधिक सुरक्षित और लाभकारी बनाती है

एचएयू (HAU) कृषि सेवा रबी और खरीफ फसलों की खेती में क्रांति लाए : हरियाणा के किसानों के लिए खेती को अधिक सुरक्षित, लाभकारी और वैज्ञानिक बनाने के लिए ई-मौसम एचएयू कृषि सेवा एक बेहतरीन डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के रूप में उभरी है। यह सेवा चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा विकसित की गई है। इसके माध्यम से किसानों को खरीफ और रबी फसलों की वैज्ञानिक खेती, मौसम पूर्वानुमान, कीट-रोग नियंत्रण, और फसल प्रबंधन से जुड़ी सटीक जानकारी प्रदान की जाती है।

 

 

खरीफ फसलें : मानसून की बूंदों के साथ बढ़े उत्पादन

खरीफ फसलों की बुवाई जून-जुलाई में होती है और फसल अक्टूबर-नवंबर में काटी जाती है।

  • बाजरा : सूखा प्रतिरोधी फसल, कम पानी में अच्छी उपज।
  • ग्वार : पशु चारा और औद्योगिक उपयोग के लिए लाभकारी।
  • मक्का (मक्की) : इंसानी भोजन और पशु आहार दोनों के लिए उपयुक्त।
  • धान : सिंचाई की उपलब्धता के अनुसार उन्नत किस्मों की सिफारिश।
  • कपास (नरमा) : कीट नियंत्रण, खरपतवार प्रबंधन और सिंचाई पर विशेष सुझाव।
  • मूंग व उड़द (दलहन) : मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने वाली प्रमुख फसलें।

 

 

रबी फसलें : ठंड के मौसम में बढ़ाएं लाभ

रबी फसलों की बुवाई अक्टूबर-नवंबर में होती है और फसल मार्च-अप्रैल में काटी जाती है।

  • गेहूं : उच्च उपज देने वाली किस्मों की जानकारी और समयबद्ध बुवाई के सुझाव।
  • चना : कम पानी में भी अच्छी उपज, रोग प्रतिरोधक किस्मों की सलाह।
  • जौ : पशुओं के चारे और खाद्य उद्योग के लिए जरूरी फसल।
  • सरसों : तेल उत्पादन के लिए प्रमुख फसल, रोग और कीट नियंत्रण की जानकारी।
  • गन्ना और शरदकालीन मक्का : विशेष तकनीकों और संतुलित उर्वरक प्रयोग की सिफारिश।

 

 

किसानों को कैसे मिलेगा सीधा लाभ?

  • संसाधनों की बचत : सिंचाई, खाद, और कीटनाशकों का संतुलित उपयोग।
  • उपज में वृद्धि : समय पर की गई सलाह और उन्नत तकनीकों से फसल का उत्पादन बढ़ेगा।
  • रोग और कीट नियंत्रण : वैज्ञानिक आधार पर समय पर उपचार से फसल सुरक्षित रहती है।
  • मौसम आधारित निर्णय : तापमान, वर्षा और हवा के सटीक पूर्वानुमान से खेती की सही योजना बनती है।

 

 

सेवा का उपयोग कैसे करें?

  1. वेबसाइट पर जाएं : https://emausamhau.com
  2. अपना जिला और फसल चुनें : पोर्टल पर जाकर मौसम पूर्वानुमान, फसल सलाह, और फसल प्रबंधन अनुभाग से जानकारी लें।
  3. साप्ताहिक कृषि सलाह प्राप्त करें : हर सप्ताह अपडेट की गई सलाह पढ़ें और उसे खेत में लागू करें।
  4. मोबाइल ऐप का इस्तेमाल करें : ‘ई-मौसम एचएयू’ ऐप Google Play Store पर उपलब्ध है। या डाउनलोड करें।

 

 

निष्कर्ष : ‘ई-मौसम एचएयू कृषि सेवा’ केवल एक सूचना प्लेटफॉर्म नहीं, बल्कि किसानों का वैज्ञानिक साथी है। इसकी मदद से खरीफ और रबी फसलों की खेती अब परंपरागत नहीं, बल्कि डेटा-आधारित और मौसम के अनुकूल बन गई है।

हरियाणा के किसान भाइयों को चाहिए कि वे इस सेवा से जुड़ें, फसलों की सुरक्षा और उत्पादन में सुधार लाएं, और बदलते मौसम के बीच भी खेती को सफल बनाएं।