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1420 किलोग्राम की किताब :
- 1420 KG Book : किताबें हमारी ज़िंदगी का अहम हिस्सा हैं, और हम सभी ने विभिन्न आकार-प्रकार की किताबें देखी और पढ़ी होंगी। लेकिन क्या आपने कभी 1420 किलोग्राम वजन की किताब के बारे में सुना है? आइए, इस विशाल किताब के बारे में जानते हैं और इससे जुड़े कई दिलचस्प सवालों के जवाब पाते हैं।
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क्या है इस किताब की लंबाई और चौड़ाई?
- इस अद्वितीय किताब की लंबाई 4.18 मीटर और चौड़ाई 3.77 मीटर है। यह आकार किसी भी सामान्य किताब की तुलना में बहुत बड़ा है और इसे पढ़ना या पलटना किसी चुनौती से कम नहीं है।
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कितनी है इस किताब का वजन?
- इस किताब (1420 KG Book) का वजन 1420 किलोग्राम है, जो इसे दुनिया की सबसे भारी किताब बनाता है। इसका एक-एक पन्ना पलटने के लिए छह लोगों की जरूरत पड़ती है, जो इस किताब की विशालता का प्रमाण है।
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किन विषयों पर आधारित है यह किताब?
- 1420 किलोग्राम वजन की इस किताब (1420 KG Book) में उत्तरी हंगरी के सिनपेत्री गाँव के वातावरण, गुफाओं और भूभाग की संरचना के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। यह किताब इलाके के प्राकृतिक इतिहास और भूगोल को दर्शाती है, जिससे पाठक इस क्षेत्र के बारे में गहराई से समझ सकते हैं।
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किताब का निर्माण कैसे हुआ?
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इस विशाल किताब को उत्तरी हंगरी के छोटे से गांव सिनपेत्री के रहने वाले 71 वर्षीय बेला वर्गा ने अपने हाथों से बनाया है। उन्होंने पारंपरिक बुक बाइंडिंग तकनीक का उपयोग किया है। किताब के पन्नों को पलटने के लिए छह लोगों की मदद की जरूरत पड़ती है, और इसे एक मशीन और स्कूज की मदद से किया जाता है।
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किताब की विशेषताएं
- बनाने की सामग्री : इस किताब को बनाने के लिए लकड़ी की टेबल और अर्जेंटीना से मंगाए गए गाय के चमड़े का उपयोग किया गया है।
- पृष्ठों की संख्या : इस किताब में कुल 346 पन्ने हैं।
- धूल हटाने का विशेष तरीका : भूटान के प्रधानमंत्री ने बेला वर्गा को याक की पूंछ उपहार में दी है, जिसका उपयोग वह किताब की धूल साफ करने के लिए करते हैं। भूटान में याक की पूंछ का उपयोग पवित्र किताबों की सफाई के लिए किया जाता है।
किताब की धूल हटाने के लिए भूटान के प्रधानमंत्री ने वर्गा को यह याक पूंछ भेंट की है
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गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज करने की तैयारी
- बेला वर्गा ने 1420 किलोग्राम की इस किताब की एक छोटी कॉपी भी बनाई है, जिसका वजन 11 किलोग्राम है। यह छोटी कॉपी गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में इस किताब का नाम दर्ज कराने के उद्देश्य से बनाई गई है।
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निष्कर्ष
- 1420 किलोग्राम वजन की यह किताब (1420 KG Book) न केवल अपने विशाल आकार और भारी वजन के कारण अद्वितीय है, बल्कि इसके निर्माण में उपयोग की गई पारंपरिक तकनीकों और सामग्री के कारण भी खास है। यह किताब उत्तरी हंगरी के सिनपेत्री गाँव के प्राकृतिक और भौगोलिक इतिहास का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज है और इसे देखना और समझना अपने आप में एक अनूठा अनुभव है। न्यूज़ सोर्स (Dainik Bhaskar)